“क्या प्यार में सोचा था, क्या प्यार में पाया हैं,
तुझको मिलाने की चाहत में, खुद को मिटाया हैं,
इस पर भी कोई इलज़ाम, ना तुझ पर लगाया हैं,
मेरी ही ख्वाईशो ने, आज मुझे अर्थी पर सुलाया हैं"
तुझको मिलाने की चाहत में, खुद को मिटाया हैं,
इस पर भी कोई इलज़ाम, ना तुझ पर लगाया हैं,
मेरी ही ख्वाईशो ने, आज मुझे अर्थी पर सुलाया हैं"
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